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डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ? डिलीवरी ट्रेडिंग में लगने वाला शुल्क

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ? डिलीवरी ट्रेडिंग के अवश्यक टिप्स डिलीवरी ट्रेडिंग में लगने वाला शुल्क डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान डिलीवरी और इंट्राडे ट्रेडिंग में अंतर डिलीवरी ट्रेडिंग में सावधानी

नमस्कार दोस्तों अगर आप शेयर मार्केट में रूचि रखते है तो आज की पोस्ट आपके लिए इम्पोर्टेन्ट है , आईये अब हम आज के इस आर्टिकल में डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ? डिलीवरी ट्रेडिंग में लगने वाला शुल्क आदि के बारे में विस्तार से जानते है

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ?

हम जब भी स्टॉक मार्केट में से शेयर को खरीदते हो और उसे हम अपने पास कुछ ज्यादा समय तक रखते है तो इस प्रकार की ट्रेडिंग डिलीवरी ट्रेडिंग कहलाती है डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेशक अपने शेयर को एक लम्बे अवधि तक होल्ड करके रखते है और जब प्राइस ज्यादा बड जाता है तब उस शेयर को बेचकर प्रॉफिट कमा लेते है तो यही होती है डिलीवरी ट्रेडिंग |डिलीवरी ट्रेडिंग में आप चाहे तो अपने शेयर को एक दिन, हफ्ते ,महीने,साल ,पाच साल ,दस साल जब तक रखना चाहते हो तब तक रख सकते हो इसका कोई निर्धारित समय नहीं होता है ये Intraday Trading से बिलकुल अलग है Intraday Trading में Same Day ट्रेडिंग की जाती है शेयर को जिस दिन खरीदते है और उसी दिन बेच भी देते है लेकिन डिलीवरी ट्रेडिंग में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट होता है |

 

डिलीवरी ट्रेडिंग के अवश्यक टिप्स

  • डिलीवरी ट्रेडिंग करने के लिए निवेशक के खाते में पर्याप्त धनराशी होनी चाहिए जिससे कि उसे शेयर खरीदने और बेचने में कोई समस्या न हो|
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में किसी कम्पनी में निवेश करने से पहले विभिन्न श्रोतों से कम्पनी के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लें और उनकी अच्छे से जाँच कर लें|
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में हमेशा अलग – अलग कंपनियों के शेयर में निवेश करने की सलाह दी जाती है क्योंकि शेयर और फण्ड डायवर्सिफाई करने से जोखिम की संभावना कम हो जाती है|
  • शेयर को बेचने के लिए सही समय का इंतजार करें, जल्दबाजी में कोई भी फैसला न लें|
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में यह सलाह भी दी जाती है कि स्टॉप लॉस का टारगेट भी सेट कर लेना चाहिए ताकि अधिक नुकसान नहीं होगा|
  • अपने सारे पैसे शेयर में निवेश न करें.यह सलाह दी जाती है कि निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में से 10 प्रतिशत ही निवेश करना चाहिए|

डिलीवरी ट्रेडिंग में लगने वाला शुल्क

  • डिलीवरी ट्रेडिंग में सबसे पहला शुल्क GST का लगता है ये GST का शुल्क 18% देना होता है वो भी ब्रोकरेज और ट्रांजेक्शन चार्ज दोनों पर देना होता है|
  • 1899 में भारत स्टाम्प एक्ट ने गवर्नमेंट को डिलीवरी ट्रेडिंग पर स्टाम्प शुल्क लगाया गया है|
  • इसमें STT (Security Transaction Tax) लगता है जो की 0.25% खरीद और बिक्री पर लगता है इसके अलावा CTT और ट्रांजेक्शन चार्ज भी डिलीवरी ट्रेडिंग में सामिल है|
  • बात करे Exchange Transition Charge की इसमें NSE और BSE कुछ चार्ज लेते है यह चार्ज आपको 0.00325% खरीद और बिक्री पर देना होता है|
  • ब्रोकरेज चार्ज आपको 0.2% देना ही पड़ता है कुछ ब्रोकरेज चार्ज जीरो होता है और फुल ब्रोकरेज सर्विस में 0.2% ब्रोकरेज देना ही पड़ता है|
  • इसमें SEBI (Security And Exchange Board Of India) चार्ज भी लगता है वो चार्ज 0.0001% का जो शेयर खरीद और बिक्री पर लगता है|
  • स्टाम्प ड्यूटी देना होता है जो हर राज्य की अलग अलग होती है इसके अलावा कुछ और चार्ज देने होते है जैसे अनुअल चार्ज और टैक्स चार्ज आपको पे करने होते है |

डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे

  • आप स्टॉक को तब बेच सकते हैं जब आपको लगे कि बाजार अनुकूल है और जब तक कोई प्रतिबद्धता नहीं है तब तक उन्हें रख सकते हैं।
  • आपके स्टॉक के आधार पर, कुछ बैंक और वित्त कंपनियां आपको पैसा उधार दे सकती हैं। अगर आप मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं तो आपके शेयर बहुत काम आ सकते हैं।
  • लाभांश प्रति शेयर एक भुगतान है जिसे एक कंपनी द्वारा घोषित किया जाता है यदि वे लाभदायक हैं। यदि आपके पास इन कंपनियों में स्टॉक हैं, तो आपको प्रत्येक स्टॉक के लिए लाभांश का भुगतान किया जाएगा।
  • यदि आप अपना फंड जमा करते हैं तो आप अधिकतम 9% या 10% ब्याज अर्जित करने की उम्मीद कर सकते हैं। हालांकि, अगर आप फर्मों के शेयरों में निवेश करते हैं तो भी आपको 100 प्रतिशत या 2000% तक का रिटर्न मिल सकता है।
  • अधिक लाभ कमाने वाली कंपनियों को बोनस स्टॉक की पेशकश की जा सकती है। यदि वे 1:1 के अनुपात की घोषणा करते हैं तो आपको अपने स्टॉक का एक हिस्सा प्राप्त होगा।
  • शेयर बाजार में सबसे ज्यादा रिटर्न लॉन्ग टर्म ट्रेडिंग से होता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान

  • डिलीवरी ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए एडवांस में पैसे देना होता है लेकिन आपके पर्याप्त मात्र में धन की उपलब्धता नही है तो आप डिलीवरी ट्रेडिंग नहीं कर सकते लेकिन आपके पास प्रयाप्त मात्र में धन उपलब्ध है तो आसानी से ट्रेडिंग कर सकते है|
  • यह एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट है इसमे इन्वेस्टरो को धर्य रखना होता है|
  • स्टॉक मार्केट क्रेश होने का डर रहता है इसलिए इसमें नुकसान होने का खतरा रहता है|

डिलीवरी और इंट्राडे ट्रेडिंग में अंतर

  • इंट्राडे ट्रेडिंग आमतौर पर एक दिन से भी कम समय में पूरी की जा सकती है। डिलीवरी ट्रेडिंग एक निश्चित अवधि के अधीन नहीं है|
  • इंट्राडे ट्रेडिंग केवल मार्जिन का भुगतान करें और व्यापार के लिए पूरी राशि का नहीं। डिलीवरी-आधारित ट्रेडिंग के लिए आवश्यक है कि आप पूरे पैसे का भुगतान करें।
  • यह सब तकनीकी संकेतकों, समाचारों और अन्य कारकों पर निर्भर करता है। यह सब वित्तीय ट्रैक रिकॉर्ड, कमाई अनुपात और बुक वैल्यू पर निर्भर करता है।
  • इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए आपको एक विशेषज्ञ होने की आवश्यकता है। डिलीवरी ट्रेडिंग के लिए तकनीकी ज्ञान आवश्यक है।
  • इंट्राडे ट्रेडिंग में: कोई डिविडेंड या अन्य लाभ जैसे राइट्स इश्यू, बोनस आदि नहीं। ट्रेडिंग डिलीवर करने से निवेशकों को सभी डिविडेंड, बोनस, राइट्स इश्यू आदि प्राप्त करने का अवसर मिलेगा|

डिलीवरी ट्रेडिंग में सावधानी

  • इसमे आपको हमेशा लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट करना चाहिए|
  • डिलीवरी ट्रेडिंग में आपके अपने पास प्रयाप्त राशी होनी चाहिए तभी आप इन्वेस्टमेंट कर सकते है|
  • ट्रेडिंग करते समय कुछ Transaction चार्ज भी लगते है जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए|
  • निवेशको को शेयर खरीदते समय कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करना बहुत जरुर होता है|
  • किसी भी ब्रोकरेज के जरिये इन्वेस्ट या ट्रेडिंग करते है तो उसके हिडन चार्ज जानना बहुत जरुरी होता है|

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