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बुक वैल्यू क्या है? : बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू के बीच अंतर

बुक वैल्यू क्या है? , बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू के बीच अंतर, बुक वैल्यू का उपयोग मार्केट वैल्यू क्या है? बुक वैल्यू को कैसे चेक करे

नमस्कार दोस्तों अगर आप शेयर मार्केट में रूचि  रखते है तो ये पोस्ट आपके लिए इम्पोर्टेन्ट होने वाली है | इस पोस्ट में हम आपको बुक वैल्यू क्या है?, बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू के बीच अंतर आदि के बारे में विस्तार से बताएँगे , आप से अनुरोध है इस पोस्ट को अन्त टस्क जरूर पढ़े |

बुक वैल्यू क्या है?
बुक वैल्यू कंपनी की बैलेंस शीट के आधार पर उसकी वैल्यू दिखाता है। यह कंपनी के लेखांकन “पुस्तकों” पर आधारित है, इसलिए इसका यह नाम है। संपत्ति और देनदारियों के मूल्य के बीच का अंतर बुक वैल्यू के बराबर है।

किसी एसेट की बुक वैल्यू, अकाउंटिंग मापों द्वारा समान बनी रह सकती है। सामूहिक रूप से किसी कंपनी की बुक वैल्यू, एसेट उपयोग के जरिए सृजित आयों के संग्रह से बढ़ सकती है। चूंकि किसी कंपनी की बुक वैल्यू उसकी शेयरहोल्डिंग के महत्व का प्रतिनिधित्व करती है, यह निर्णय करने का प्रयास करते हुए कि क्या शेयरों का मूल्यनिर्धारण उचित तरीके से किया गया है, बुक वैल्यू की शेयरों की मार्केट वैल्यू के साथ तुलना करना एक कारगर मूल्यांकन तकनीक का कार्य कर सकता है।

उदाहरण के लिए X कंपनी के पास 10 लाख शेयर की संख्या हे।और कंपनी की कुल एसेट्स हे 20 लाख रुपये। और उसमेसे कंपनी की liabilities हे 5 लाख रुपये। तो हम कंपनी की बुक वैल्यू निकलने के लिए कंपनी में से liabilities निकल देंगे।तो liabilities हे 5 लाख रुपये।तो बचे 20 लाख रुपये। 20-5 = १15 लाख रुपये। तो कंपनी की 15 लाख रुपये बुक वैल्यू हो गयी।और उसी 15 लाख को हम कंपनी की कुल शेयर संख्यासे गुण लेंगे। 15 लाख * 10 लाख = 150 रुपये। मतलब कंपनी की शेयर पर बुक वैल्यू रहेगी 150 रुपये।

बुक वैल्यू का उपयोग:-

  • यह किसी भी कंपनी के एसेट्स की कुल वैल्यू के रूप में काम करती है, जिसे शेयरधारक सिद्धांत रूप में प्राप्त करंगे जब कंपनी की परिसंपत्तियां बिक जाएंगी।
  • किसी कंपनी की मार्केट वैल्यू के साथ तुलना करते हुए, बुक वैल्यू संकेत दे सकती है कि स्टॉक का मूल्य निर्धारण वास्तविक मूल्य से अधिक हुआ है या कम हुआ है।

मार्केट वैल्यू क्या है?
किसी संपत्ति का मार्केट वैल्यू किसी विशेष समय पर वित्तीय बाजार पर उसकी कीमत पर आधारित होता है। शेयर के मार्केट वैल्यू को बकाया शेयरों की कुल संख्या से गुणा करके मार्केट वैल्यू पर आ जाता है।

बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू के बीच अंतर:-

  • बुक वैल्यू कंपनी की इक्विटी के मूल्य को दिखाता है, जबकि मार्केट वैल्यू अधिकतम मूल्य दिखाता है जिस पर कंपनी के शेयर को वित्तीय बाजार में कारोबार किया जा सकता है।
  • बुक वैल्यू कंपनी की संपत्ति के वास्तविक मूल्य को दिखाता है, जबकि मार्केट वैल्यू कंपनी या उसकी संपत्ति के अनुमानित मूल्य के निवेशक को सूचित करता है।
  • बुक वैल्यू संपत्ति अधिग्रहण की वास्तविक लागत को इंगित करता है, जबकि मार्केट वैल्यू बाजार के रुझान को दिखाता है।
  • यदि कंपनी किसी संपत्ति को बेचने की योजना बनाती है तो बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू भी इसके उपयोग में काफी भिन्न होते है। बुक वैल्यू केवल संपत्ति के लेखांकन मूल्य को दिखाता है, जबकि मार्केट वैल्यू बाजार में संपत्ति की वर्तमान लोकप्रियता को सही रूप से दिखाता है।
  • संपत्तियों का बुक वैल्यू और मार्केट वैल्यू भी उतार-चढ़ाव की आवृत्ति के संदर्भ में भिन्न होता है । अगर हम बुक वैल्यू बनाम मार्केट वैल्यू देखते हैं, तो बुक वैल्यू अधिक स्थिर है। यह समय-समय पर बदलता है, आमतौर पर जब कंपनी अपनी कमाई की रिपोर्ट करती है। दूसरी ओर, मार्केट वैल्यू, ट्रेडिंग डे के माध्यम से परिसंपत्तियों का कारोबार होने के कारण अक्सर बदलता रहता है।

बुक वैल्यू को कैसे चेक करे :-
अगर किसी कंपनी की बुक वैल्यू देखने हो। तो आप उसके बैलेंस शूट में देख सकते हे। या आप सीधे गूगल पर कंपनी का नाम ,और आगे बुक वैल्यू लिखने पर आपको कंपनी की बुक वैल्यू पता चल जाएगी। या आप कंपनी की बैलेंस शीट nseindia वेबसाइट पर भी देख सकते हे। इसमें आपको कंपनी की पूरी जानकारी मिल जाती हे। जो कंपनी में निवेश करे या न करे इन बातो को समझने में मदत करती हे।

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